भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बूँद / मंजुश्री गुप्ता" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मंजुश्री गुप्ता |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
12:15, 12 अप्रैल 2017 के समय का अवतरण
मैं एक बूँद!
समय की
प्रवहमान नदी में
जीवन पथ पर
बहती जाती
बहती जाती
खुश हो
निर्झर सा गाती
चट्टानों से टकराती
टूटती
फिर जुड़ जाती
कभी भंवर में फंसती-
उबरती
समतल पर
शांत हो जाती
जीवन पथ पर
बहती जाती
बहती जाती
अनंत महासागर में
विलीन होने को