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"दूसरी मृत्यु / मंजुश्री गुप्ता" के अवतरणों में अंतर
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अपनी शोक सभा में मैं!
पढ़ सकती हूँ
सबके मनों को
महसूसती हूँ
चिटकते
वर्षों से संजोये
अपने खुशनुमा
भ्रमों को
हाँ,
अब हुयी है
मेरी
वास्तविक मृत्यु!