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"ज़िन्दगी से जंग / मंजुश्री गुप्ता" के अवतरणों में अंतर
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ज़िन्दगी आ!
दो दो हाथ कर लें
कोशिश कर तू
मुझे पटखनी देने की
ये ले मैं फिर जीती
तूने हर रास्ते बंद कर दिए?
ले मैं निकल गयी
पतली गली से!
अरे अरे!
फ़िर नयी चुनौतियां?
तूने समझ क्या रखा है मुझे?
मैं और मजबूत बन कर
लड़ूंगी तुझसे
तू है किस खेत की मूली?
लड़ती जाउंगी
कभी चोट खाऊँगी
कभी हार जाऊँगी
मगर फिर भी
लड़ती जाउंगी
जब तक तू
सुधर नहीं जाती
या फिर तू
चली नहीं जाती!