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"कैसे तब बँधेगी आस / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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कैसे तब बँधेगी आस  
 
कैसे तब बँधेगी आस  

07:48, 20 अप्रैल 2017 के समय का अवतरण

कैसे तब बँधेगी आस

कलि -कुसुम मुरझा जायेंगे
अलि -दल न गाने पायेंगे
जब अंक में पतझर के खो जायेगा मधुमास

तरु-दीप भी बुझ जायेंगे
तारे न अश्रु बहायेंगे
क्या देख रजनी में करेंगे ज्योति का विश्वास

स्मृति भी न मन में आयेगी
रो आँख भी थक जायेगी
कैसे करूँगा व्यक्त तब अपने ह्रदय की प्यास