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"तीसरे खेल की तलाश / कुमार कृष्ण" के अवतरणों में अंतर

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14:31, 22 अप्रैल 2017 के समय का अवतरण

भिन्न हैं उनकी चिन्ताएँ, खुशियाँ और तकलीफ़
पशुओं के पर्व, पानी की पूजा
बच्चे के जन्म पर
धूप और तारों से समय को पकड़ती
औरतों के दुःख।

पीपल की जड़ें प्रतिदिन लिखतीं चौपाल की डायरी
गाय के थन बच्चों की उम्र
तुलसी के पौधे घरों का इतिहास
छत की मुँडेर परिवार की सम्पन्नता।

सूखे हुए पोखर में पहलवानी करते बच्चे
चोरी का गुड़ खाकर जितने खुश होते हैं
उतनी ही खुश होती हैं
खट्टे के पेड़ तले छोटी-बड़ी लड़कियाँ।
बीज के गुल्लक और सपेरे की बीन में

घर के कन्धों पर चढ़ी लौकी का ठसका।

पूरी तरह मौजूद है
बहुत अधिक होने लगी हैं वहाँ
लकड़ी, घास और पानी चुराने की वारदातें

आलू-अदरक के बीज गुम होते हैं कभी-कभी
गुड़ और आग बाँटने वाले बच्चे
गुल्ली- डण्डा, चोर-सिपाही के खेल के अतिरिक्त
ढूँढ़ रहे हैं कोई तीसरा खेल।