"कय लाख हाथी साजबऽ / अंगिका लोकगीत" के अवतरणों में अंतर
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कय<ref>कितना</ref> लाख हाथी साजबऽ, कय लाख बरियात।
कय लाख राम साजबऽ, चन्नन लिलार।
रामजी के आसन रीखि<ref>ऋषि</ref> के दुआर॥1॥
नब लाख हाथी साजबऽ, पचीस लाख बरियात।
पाँच भाय राम साजबऽ, चन्नन लिलार।
रामजी के आसन रीखि के दुआर॥2॥
कहँमाहिं हाथी राखबऽ, कहँमा बरियात।
कहँमाहिं राम राखबऽ चन्नन लिलार।
रामजी के आसन रीखि के दुआर॥3॥
कूरखेत<ref>जोता, कोड़ा खेत</ref> हाथी राखबऽ, दुआरे बरियात।
मँड़बहिं राम राखबऽ, चन्नन लिलार।
रामजी के आसन, रीखि के दुआर॥4॥
किय दै हाथी समदब<ref>सांत्वना दूँगा, मनाऊँगा</ref> किय दै बरियात।
किय दै राम समदब, चन्नन लिलार।
रामजी के आसन, रीखि के दुआर॥5॥
दान दै हाथी समदब, दहेज दै बरियात।
सीता दै राम समदब, चन्नन लिलार।
रामजी के आसन, रीखि के दुआर॥6॥
निरधन माय बाप, निरधन ससुरार।
निरधन दुलरैती बहिनी, छेंकल दुआर॥7॥
छोरु<ref>छोड़ो</ref> छोरु आगे बहिनो, हमरो दुआर।
आबैछै<ref>आती है</ref> लछमिनियाँ भौजो, खोंइछा<ref>मुड़ा हुआ आँचल; ऐसी प्रथा है कि कोई स्त्री या दुलहिन जब बिदा होने लगती है, तब उसके आँचल में धान या चावल दिया जाता है। उसमें रुपया या कोई द्रव्य, हल्दी, दूब, फूल आदि रख दिये जाते हैं</ref>