भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"स्त्री और पुरूष / अनुभूति गुप्ता" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनुभूति गुप्ता |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

16:54, 2 मई 2017 के समय का अवतरण

स्त्री सहनशील है
धरती की तरह
पुरूष,
स्त्री पर निर्भर है
जल की तरह
स्त्री से इस संसार का
सृजन है
पुरूष जीता
सुखद जीवन है
अगर,
स्त्री का अस्तित्व
कटघरे में होगा
तो पुरूष का व्यक्तित्व
अँधेरे में होगा!