भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"डरने लगे हैं लोग / रंजना जायसवाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना जायसवाल |संग्रह=मछलियाँ दे...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

12:32, 5 मई 2017 के समय का अवतरण

पूरे शहर में
बिछी है
बारूदी सुरंग
लोग अब
माचिस की
बुझी तीली से भी
डरने लगे हैं।