भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अक्सर / दुःख पतंग / रंजना जायसवाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना जायसवाल |अनुवादक= |संग्रह=द...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
12:51, 11 मई 2017 के समय का अवतरण
हसरतों की माला
गूँथती हैं
आईने से बतियाती हैं
सबके बीच होकर भी
अक्सर अदृश्य हो जाती हैं
लड़कियाँ
प्रेम में।