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"उसी क्षण / दिनेश जुगरान" के अवतरणों में अंतर
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खिले हों कमल
चाँद बरसाता हो
रसधार!
हवा लगे सुगंधित
प्रफुल्लित होता हो मन!
बस उसी क्षण
हाँ, उसी क्षण
छलांग लगाकर
बाहर हो जाना