भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पराजित सच / अखिलेश्वर पांडेय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अखिलेश्वर पांडेय |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

16:39, 16 मई 2017 के समय का अवतरण

मैं अपने समय का पराजित सच हूँ
मैं एक जटिल कथा हूँ
सरल निष्कर्षों के आधार पर
लिखा नहीं जा सकता
इसका उपसंहार
दुखांतिका भी नहीं

आगजनी में जला दिए गए जिनके घर
दफ्तर से लौटते हुए
कत्ल कर दिए गए उनके पिता
वहां जली नहीं केवल एक बोगी
वह तो पूरा राष्ट्र था बल्कि
जो महीनों तक जलता रहा
मैं उन दंगों के बारे में क्या बताउं
उन कत्लों के बारे में भी

क्या उन दुखों की तेज आंधी में
फडफड़ाएगा कभी कोई पन्ना
बोलेगा कभी कोई शब्द
मैं तो चुप हूँ
चुप ही रहूँगा
मैं अपने समय का पराजित सच जो हूँ