भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पूनम के रात है / आशा राजकुमार" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आशा राजकुमार |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
13:54, 24 मई 2017 के समय का अवतरण
पूनम के रात है
धान के गट्टा में चाँद बुजबुजा है
झूरा में उठा लाब हम एके
ओइसे गिर जाए दरारा में
ऊपर बादर चाँद के टोप देइस
हमार खेतवा में जौन रहा चल गइल धीरे से
पता न कौन सन्देश है इ
आज हमार घर हम्मे प्यारा लगे।