भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मैंने भगवान से पूछा / कारमेन जगलाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कारमेन जगलाल |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

13:58, 24 मई 2017 के समय का अवतरण

मैंने भगवान से पूछा-तुम कहाँ
भगवान ने कहा मैं आप ही के पास
आप ही में हूँ
मैंने भगवान से पूछा-तुम क्यों नहीं
दिखाई दे रहे हो।
भगवान ने कहा कि बस वो नजर
ही तुम्हारे पास नहीं है।

मैंने भगवान से पूछा कि हमारे
शरीर को पूर्ण कर दो
भगवान ने कहा-तुम्हारी आत्मा सम्पूर्ण है
शरीर तो अस्थायी है

मैंने भगवान से पूछा-दुख क्यों है
दर्द क्यों है
भगवान बोले दुख और दर्द
तुम्हें मेरे पास लाते हैं।

मैंने भगवान से पूछा-
मुझे खुशी क्यों नहीं देते हो
भगवान ने कहा,
मैं तो सिर्फ आर्शीवाद देता हूँ
खुशी तुम पर निर्भर है।