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"तू कुछ ना सुनले / चित्रा गयादीन" के अवतरणों में अंतर

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14:25, 24 मई 2017 के समय का अवतरण

चूल्हा के आँच तोर चेहरा झुराई
तोर जिन्दगी राखी में लपेटी
कितना आसा बटोर के खड़ा बाटे
दूध उफला है, दाल खौली
भात सींझे
एक दिन
पिसान के सपना
मन के बातचीत
खचियाइस रहा तोर अँगना में
चार दीवार पर नौता के हाथ
मुस्कियाइस रहा
ओढ़नी ओढ़ के आल तोर द्वार
ए भौजी, ए दुल्हिनिया
ए लीसवा के माई
गोहराइके कहाँ तोके लेके चलगे।