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"प्रभु का भेद / नाराइन सिंह ‘सुभाग’" के अवतरणों में अंतर
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ज्ञानों के सागर वेद
उसमें प्रभु छुपाया
अपना भेद
हम तेरा सेवक प्रभु
तू तो इन्सान के देवक
लेना है तो साफ कर अपने प्रभु
का मन्दिर
ता वो भर देगा
बिद्या-ज्ञान से तेरा दिल
पुण्य में है तेरी भलाई
ध्यान धर
तो पाप दूर हो जाई।