भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"झूर मछरी / देवानंद शिवराज" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=देवानंद शिवराज |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
14:58, 24 मई 2017 के समय का अवतरण
जाके बसे हॉलैंड में
माँगे चटनी आम
पैसा गिरे आस पास से
करना पड़े यहाँ न काम
चाचा तुम भी चले आओ
छोड़ो नरक देश है सूरीनाम
झूर मछरी माँगे हमसे
कैसे कहूँ मैं इसका दाम
हमारा सूरीनाम प्यारा देश
इसकी रखूँ मैं नित शान
डरपोक बन न भागूँगा
इस पर हो जाऊँ कुरबान
जान बचाने भी भागूँ नहीं
अपने घर में बैठे बचाऊँ प्राण
झण्डा ऊँचा रहे हमारा
चाहे आवे आँधी तूफान।