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"धान की खेती / देवानंद शिवराज" के अवतरणों में अंतर

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धान की खेती अति सुक देती
किसानों का मन मोह लेती
कीचड़ पानी में नित मेहनत करते
नहीं सरदी गरमी से डरते,
गोदामों को अनाजों से भरते
न किसी की आस पे मरते
जहाँ भी देखो हरी पीली जमीं
किसानों में न कोई कमी
खेती जीवन में हरी भरी निराली
देश को ऊँचा उठाने वाली।