"मौत से ठन गई / अटल बिहारी वाजपेयी" के अवतरणों में अंतर
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
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रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,<br> | रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,<br> | ||
− | यों लगा | + | यों लगा ज़िन्दगी से बड़ी हो गई।<br><br> |
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− | + | ज़िन्दगी सिलसिला, आज कल की नहीं।<br><br> | |
− | मैं जी भर जिया, मैं मन से | + | मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूँ,<br> |
− | लौटकर आऊँगा, कूच से क्यों | + | लौटकर आऊँगा, कूच से क्यों डरूँ?<br><br> |
तू दबे पाँव, चोरी-छिपे से न आ,<br> | तू दबे पाँव, चोरी-छिपे से न आ,<br> | ||
सामने वार कर फिर मुझे आज़मा।<br><br> | सामने वार कर फिर मुझे आज़मा।<br><br> | ||
− | मौत से बेखबर, | + | मौत से बेखबर, ज़िन्दगी का सफ़र,<br> |
शाम हर सुरमई, रात बंसी का स्वर।<br><br> | शाम हर सुरमई, रात बंसी का स्वर।<br><br> | ||
बात ऐसी नहीं कि कोई गम ही नहीं,<br> | बात ऐसी नहीं कि कोई गम ही नहीं,<br> | ||
− | + | दर्द अपने-पराए कुछ कम भी नहीं।<br><br> | |
प्यार इतना परायों से मुझको मिला,<br> | प्यार इतना परायों से मुझको मिला,<br> | ||
− | न अपनों से बाकी | + | न अपनों से बाकी हैं कोई गिला।<br><br> |
हर चुनौती से दो हाथ मैंने किये,<br> | हर चुनौती से दो हाथ मैंने किये,<br> | ||
− | + | आँधियों में जलाए हैं बुझते दिए।<br><br> | |
आज झकझोरता तेज़ तूफान है,<br> | आज झकझोरता तेज़ तूफान है,<br> |
17:00, 17 मई 2007 का अवतरण
लेखक: अटल बिहारी वाजपेयी
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ठन गई!
मौत से ठन गई!
जूझने का मेरा इरादा न था,
मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था,
रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,
यों लगा ज़िन्दगी से बड़ी हो गई।
मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं,
ज़िन्दगी सिलसिला, आज कल की नहीं।
मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूँ,
लौटकर आऊँगा, कूच से क्यों डरूँ?
तू दबे पाँव, चोरी-छिपे से न आ,
सामने वार कर फिर मुझे आज़मा।
मौत से बेखबर, ज़िन्दगी का सफ़र,
शाम हर सुरमई, रात बंसी का स्वर।
बात ऐसी नहीं कि कोई गम ही नहीं,
दर्द अपने-पराए कुछ कम भी नहीं।
प्यार इतना परायों से मुझको मिला,
न अपनों से बाकी हैं कोई गिला।
हर चुनौती से दो हाथ मैंने किये,
आँधियों में जलाए हैं बुझते दिए।
आज झकझोरता तेज़ तूफान है,
नाव भँवरों की बाहों में मेहमान है।
पार पाने का कायम मगर हौसला,
देख तेवर तूफां का, तेवरी तन गई।
मौत से ठन गई।