भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"प्रबल कलियुग / मुंशी रहमान खान" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुंशी रहमान खान |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
15:30, 26 मई 2017 के समय का अवतरण
कलियुग यहि संसार में प्रबल जानियो भूप।
हिन्दू मुस्लिम कर दिए दोनहुँ एकै रूप।
दोनहुँ एकै रूप मूँछ दाढ़ी मुड़वाई।
कर दिये जाति कुजाति नहीं कोई चिन्ह दिखाई।
कहैं रहमान धर्म नाहिं त्यागैं धर्म धुरन्धर कोई युग।
सत्युग त्रेता द्वापर जीते जीत लिहैं कभी कलयुग।