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"समय में समाय गइली / राज रामदास" के अवतरणों में अंतर

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15:45, 26 मई 2017 के समय का अवतरण

समय में समाय गइली
सबेर के एक अँधेर इलाका में
जनम जब भी जगाइस
तब मौत मुस्कियाइस
बेर बेर सोचत
कि मिलगे गहनकी एक और हमके
संसार के सुखदुख के बेलैक भाग में
हम अपन बचपन बिताइली
मैल बीमारी में
खेलत कूदत

जवानी से करजा लेके
एक टुकड़ा जीवन कीन ली
माया की मीढ़ी के सोझे
उम्मीद और नाउम्मीद के मौसम में
हम बोइली तोर संघे
सोचली और बिचारली भी
खाली बखार के बगले
तमाखू खींचत

बिस्वास भरोसा
और आसा के भासा
भूलगैले रहली
जब थकल अँजोर के गोदी में
एक जीव जनम लेइस
हमार तोर
पक्कल फूटल प्रान के टुकड़ा

आधा डरायते
आधा खुसी में
उठाइली हम ओके
उधार के हथकड़ी कलाई पे लिए
और संसार के तराजू पे
रख देली।