भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पैदाई के पन्ना पे / राज रामदास" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राज रामदास |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatSur...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

16:01, 26 मई 2017 के समय का अवतरण

पैदाई के पन्ना पे
संसार के स्याही से
चाहत के चिट्ठी लिखी चाहिस
कविता
हाँ
ओही
छोट-मोट
दिल के बोली
जौन अब्भे काल्हे
नंगे दौड़त-गिरत रहा
दुनिया के द्वारे

इ इन्सान के इच्छा है
मानुस के अन्तिम मतलब
या सोच समझ के सजावल भूल
जौन भविष्य के फुसलावे है

के जाने
खिड़की खुलल है अब्भे
बाहर
दिन के ओइय्या पे
किसकिल्ली अपन किलबिल से
बाहिर भासा के
नचवावे है।