भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"डफली फूट गई / रामदेव महाबीर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामदेव महाबीर |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

16:39, 26 मई 2017 के समय का अवतरण

देश में क्या हो रहा है।
क्यों हो रहा है॥
यह सोचा कौन।
पीटी गई डफली॥
कि गरीबी मिटाओ।
गरीबी बढ़ती गई॥
और डफली फूट गई।
जनता भूखी है नंगी है॥
गन्ना केले की परनासी उजड़ी है।
और चमकती है राजधानी देव॥