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"भविष्य बानी / सरवन बख्तावर" के अवतरणों में अंतर
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भविष्य अपन मंगली जाने, गैली बाबा के पास,
कुंडली देखैली अपन, ओही राहा एकही आस,
बाबा हाथ देखकर बोलिस, इह तो है एकदम खाली,
बनी काम तब-ही, जब भरियो हमार थाली,
इह बात सुनकर, हम तो होई गैली उदास,
भविष्य बनावे के, और ना है कोई रास?
अच्छा कर्म कर एही हथ्वन से, हाथ के रेखा न देख,
बदल जाई तोहार जिन्दगी, झूट-फुट के पैसा न फेंक!