भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"होली / सरवन बख्तावर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सरवन परोही |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatSur...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(कोई अंतर नहीं)

17:35, 26 मई 2017 का अवतरण

होली के दिन आवत है बबुवा,
गावो बसन्ती गीत!
गाँव-गाँव में होलिका गड़ गैल,
होई प्रह्लाद के भक्ति के जीत!!!!
अरे मन मीत, काहे बातो इतना धीट?
प्रेम-प्यार में बाँधो सबको,
येही है प्रीत के रीत।