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"आशीष / हरिदेव सहतू" के अवतरणों में अंतर
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घड़ी की
चलती सुई पर
ध्यान दो
धड़कन सुनो
मन के गर में लगा जाल
मान
नाम
अहंकार का
साफ कर डाल
कहता सहतू
उपकार हेतु
झुका लेना शीश
बरसेगा आशीष।