भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पहचान / ब्रज श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ब्रज श्रीवास्तव |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

16:50, 27 मई 2017 के समय का अवतरण

भट्टी जैसे हुये रास्ते
लपट भी है क्या उसी वास्ते.
सूरज का मौसम है भाई.
आगों ने भी आग लगाई

वह ऐसे में
श्रम करने को
मजबूर है
वही मजदूर है.

हमदर्दी के दिन तो आते
पिन के जैसे उसे चुभाते
फुसला कर करते हैं शोषण.
साजिश भरा है दोषारोपण.

जिससे उसका मालिक
रहा सदा से क्रूर है.
हां, वही मजदूर है

जिसके बिन, न बिजली, नल
जिसके बिन, न सड़क, ओ घर
खुद से ही पहचान नहीं है
जो अब भी खुद से दूर है.
हां वही मजदूर है