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"न सम्झुँ भन्छु तिमीलाई / हरिभक्त कटुवाल" के अवतरणों में अंतर

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नहेरूँ भन्छु तिमीलाई  
 
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नहेरी बस्न के सक्थें?
 
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कि तिम्रो सम्झना उस्तो  
 
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कि मेरो छाती नै उस्तो
 
कि मेरो छाती नै उस्तो
 
कहालिन्छ जव छाती  
 
कहालिन्छ जव छाती  
 
नधाई बस्न के सक्थें?
 
नधाई बस्न के सक्थें?
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खिइने छैन यो सृष्टि  
 
खिइने छैन यो सृष्टि  
 
दुइ  आँखाले हेर्दैमा
 
दुइ  आँखाले हेर्दैमा
 
फुलेको सृष्टिको फूल  
 
फुलेको सृष्टिको फूल  
 
नसुँघी बस्न के सक्थें?
 
नसुँघी बस्न के सक्थें?
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छ तिम्रो सम्झना मीठो
 
छ तिम्रो सम्झना मीठो
 
कमलो छाती छ मेरो  
 
कमलो छाती छ मेरो  
 
जसै चस्कन्छ यो छाती
 
जसै चस्कन्छ यो छाती
 
नरोई बस्न के सक्थें?
 
नरोई बस्न के सक्थें?
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जति सम्झ्यो उति मीठो
 
जति सम्झ्यो उति मीठो
 
जता हेर्यो उतै सुन्दर  
 
जता हेर्यो उतै सुन्दर  

20:16, 30 मई 2017 के समय का अवतरण

न सम्झुँ भन्छु तिमीलाई
नसम्झी बस्न के सक्थें?
नहेरूँ भन्छु तिमीलाई
नहेरी बस्न के सक्थें?

कि तिम्रो सम्झना उस्तो
कि मेरो छाती नै उस्तो
कहालिन्छ जव छाती
नधाई बस्न के सक्थें?

खिइने छैन यो सृष्टि
दुइ आँखाले हेर्दैमा
फुलेको सृष्टिको फूल
नसुँघी बस्न के सक्थें?

छ तिम्रो सम्झना मीठो
कमलो छाती छ मेरो
जसै चस्कन्छ यो छाती
नरोई बस्न के सक्थें?

जति सम्झ्यो उति मीठो
जता हेर्यो उतै सुन्दर
यो सुन्दर सृष्टिको गीत
नगाई बस्न के सक्थें?