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"सफल आदमी / भास्कर चौधुरी" के अवतरणों में अंतर

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11:58, 31 मई 2017 के समय का अवतरण

यह औरत ही है
जो घर को सम्हाल कर रखती है
कहा उसने

यह औरत ही है
जो आदमी को उसकी मंजिल तक पहुँचाती है
कहा उसने

और
सामाने बैठी औरतों की
ज़ोरदार तालियों के बीच
वह उतर आया
मंच से आहिस्ते आहिस्ते
झूमते झूमते!!