भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आजभोलि मन मेरो / रवि प्राञ्जल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रवि प्राञ्जल |अनुवादक= |संग्रह= }} {{K...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 5: | पंक्ति 5: | ||
|संग्रह= | |संग्रह= | ||
}} | }} | ||
+ | {{KKCatGeet}} | ||
{{KKCatNepaliRachna}} | {{KKCatNepaliRachna}} | ||
<poem> | <poem> |
10:07, 22 जून 2017 के समय का अवतरण
आजभोलि मन मेरो त्यसै-त्यसै दुख्छ
रोऊँ भने आँसु मेरो गह भित्रै सुक्छ
वसन्तमा मधुमास छैन आज भोलि
न्याउली रुन्छे बिरहमा मुटु मेरो पोली
ब्यथाहरू बल्झिएर खुशी पर लुक्छ
रोऊँ भने आँसु मेरो गह भित्रै सुक्छ
बगर भो छाती मेरो आँखा भो किनारा
कहाँ पोखूँ बह मनको भेटिन सहारा
भावनाको सागरमा मन मेरो डुब्छ
रोऊँ भने आँसु मेरो गहभित्रै सुक्छ