भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"फुटानी / नवीन ठाकुर ‘संधि’" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नवीन ठाकुर 'संधि' |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

18:05, 22 जून 2017 के समय का अवतरण

राड़ोॅ रोॅ धांेन जोरी रोॅ पानी,
नै राखेॅ पारै छै बान्ही।

हाथोॅ में धोन तेॅ देखोॅ लाभ-काप,
घटल्होॅ पैसा करेॅ लाग्ल्होॅ बाप रे बाप।

जेनॉ उल्लू होय छै अन्हरोॅ,
दैकेॅ धोंन बनैलकोॅ हुरोॅ गेनरोॅ।
धन आबै जाय में नै बनल्होॅ ज्ञानी,

तकदीर-तकदीर सब्भे बकै छै,
मतुर ओकरोॅ हिसाब कोय नै राखै छै।

जोगलै पर नै सबाद चाखै छै,
उल्लू उड़ी गेलोॅ धन लैकेॅ बादोॅ में ताकै छै।
देखोॅ "संधि" जुगोॅ रोॅ येॅहेॅ फुटानी।