"माँ का नाच / बोधिसत्व" के अवतरणों में अंतर
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− | वहाँ कई स्त्रियाँ थीं | + | <poem> |
− | जो नाच रही थीं, गाते हुए | + | वहाँ कई स्त्रियाँ थीं |
+ | जो नाच रही थीं, गाते हुए | ||
− | वे खेत में नाच रही थीं या | + | वे खेत में नाच रही थीं या |
− | + | आँगन में यह उन्हें भी नहीं पता था | |
− | एक मटमैले वितान के नीचे था | + | एक मटमैले वितान के नीचे था |
− | चल रहा यह | + | चल रहा यह नाच। |
− | कोई पीली साड़ी पहने थी | + | कोई पीली साड़ी पहने थी |
− | कोई धानी | + | कोई धानी |
− | कोई गुलाबी, कोई जोगन-सी | + | कोई गुलाबी, कोई जोगन-सी |
− | सब नाचते हुए मदद कर रही थीं | + | सब नाचते हुए मदद कर रही थीं |
− | एक-दूसरे की | + | एक-दूसरे की |
− | थोड़ी देर नाच कर दूसरी के लिए | + | थोड़ी देर नाच कर दूसरी के लिए |
− | हट जाती थीं वे नाचने की जगह | + | हट जाती थीं वे नाचने की जगह से। |
− | कुछ देर बाद बारी आई माँ के नाचने की | + | कुछ देर बाद बारी आई माँ के नाचने की |
− | उसने बहुत सधे ढंग से | + | उसने बहुत सधे ढंग से |
− | शुरू किया नाचना | + | शुरू किया नाचना |
− | गाना शुरू किया बहुत पुराने तरीके से | + | गाना शुरू किया बहुत पुराने तरीके से |
− | पुराना गीत | + | पुराना गीत |
− | माँ के बाद नाचना था जिन्हें वे भी | + | माँ के बाद नाचना था जिन्हें वे भी |
− | जो नाच चुकी थीं वे भी अचम्भित | + | जो नाच चुकी थीं वे भी अचम्भित |
− | मन ही मन नाच रही थीं माँ के | + | मन ही मन नाच रही थीं माँ के साथ। |
− | मटमैले वितान के नीचे | + | मटमैले वितान के नीचे |
− | इस छोर से उस छोर तक नाच रही थी माँ | + | इस छोर से उस छोर तक नाच रही थी माँ |
− | पैरों में बिवाइयाँ थीं गहरे तक फटी | + | पैरों में बिवाइयाँ थीं गहरे तक फटी |
− | टूट चुके थे घुटने कई बार | + | टूट चुके थे घुटने कई बार |
− | झुक चली थी कमर | + | झुक चली थी कमर |
− | पर जैसे भँवर घूमता है | + | पर जैसे भँवर घूमता है |
− | जैसे बवंडर नाचता है वैसे | + | जैसे बवंडर नाचता है वैसे |
− | नाच रही थी | + | नाच रही थी माँ। |
− | आज बहुत दिनों बाद उसे | + | आज बहुत दिनों बाद उसे |
− | मिला था नाचने का मौका | + | मिला था नाचने का मौका |
− | और वह नाच रही थी बिना रुके | + | और वह नाच रही थी बिना रुके |
− | गा रही थी बहुत पुराना गीत | + | गा रही थी बहुत पुराना गीत |
− | गहरे सुरों | + | गहरे सुरों में। |
− | अचानक ही हुआ माँ का गाना बन्द | + | अचानक ही हुआ माँ का गाना बन्द |
− | पर नाचना जारी रहा | + | पर नाचना जारी रहा |
− | वह इतनी गति में थी कि परबस | + | वह इतनी गति में थी कि परबस |
− | घूमती जा रही थी | + | घूमती जा रही थी |
− | फिर गाने की जगह उठा विलाप का स्वर | + | फिर गाने की जगह उठा विलाप का स्वर |
− | और फैलता चला गया उसका | + | और फैलता चला गया उसका वितान। |
− | + | वह नाचती रही बिलखते हुए | |
− | वह नाचती रही बिलखते हुए | + | धरती के इस छोर से उस छोर तक |
− | धरती के इस छोर से उस छोर तक | + | समुद्र की लहरों से लेकर जुते हुए खेत तक |
− | समुद्र की लहरों से लेकर जुते हुए खेत तक | + | सब भरे से उसके नाच की धमक से |
− | सब भरे से उसके नाच की धमक से | + | सब में समाया था उसका बिलखता हुआ गाना। |
− | सब में समाया था उसका बिलखता हुआ | + | </poem> |
17:43, 26 जून 2017 के समय का अवतरण
वहाँ कई स्त्रियाँ थीं
जो नाच रही थीं, गाते हुए
वे खेत में नाच रही थीं या
आँगन में यह उन्हें भी नहीं पता था
एक मटमैले वितान के नीचे था
चल रहा यह नाच।
कोई पीली साड़ी पहने थी
कोई धानी
कोई गुलाबी, कोई जोगन-सी
सब नाचते हुए मदद कर रही थीं
एक-दूसरे की
थोड़ी देर नाच कर दूसरी के लिए
हट जाती थीं वे नाचने की जगह से।
कुछ देर बाद बारी आई माँ के नाचने की
उसने बहुत सधे ढंग से
शुरू किया नाचना
गाना शुरू किया बहुत पुराने तरीके से
पुराना गीत
माँ के बाद नाचना था जिन्हें वे भी
जो नाच चुकी थीं वे भी अचम्भित
मन ही मन नाच रही थीं माँ के साथ।
मटमैले वितान के नीचे
इस छोर से उस छोर तक नाच रही थी माँ
पैरों में बिवाइयाँ थीं गहरे तक फटी
टूट चुके थे घुटने कई बार
झुक चली थी कमर
पर जैसे भँवर घूमता है
जैसे बवंडर नाचता है वैसे
नाच रही थी माँ।
आज बहुत दिनों बाद उसे
मिला था नाचने का मौका
और वह नाच रही थी बिना रुके
गा रही थी बहुत पुराना गीत
गहरे सुरों में।
अचानक ही हुआ माँ का गाना बन्द
पर नाचना जारी रहा
वह इतनी गति में थी कि परबस
घूमती जा रही थी
फिर गाने की जगह उठा विलाप का स्वर
और फैलता चला गया उसका वितान।
वह नाचती रही बिलखते हुए
धरती के इस छोर से उस छोर तक
समुद्र की लहरों से लेकर जुते हुए खेत तक
सब भरे से उसके नाच की धमक से
सब में समाया था उसका बिलखता हुआ गाना।