भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पत्थर / अमरजीत कौंके" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अमरजीत कौंके |अनुवादक= |संग्रह=बन...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
18:29, 26 जून 2017 के समय का अवतरण
तितली
उड़ती उड़ती आई
आ कर एक पत्थर पर
बैठ गई
पत्थर उसी क्षण
खिल उठा
और
फूल बन गया।