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"अमन का प्रतीक / अमरजीत कौंके" के अवतरणों में अंतर
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बस-कांड में ज़ख़्मी हुआ
जले हुए पँखों वाला
एक कबूतर
अपनी अंतिम साँसों में
तड़प रहा है
ज़ख़्मी लोगों को
निर्जीव शवों को
उठा कर ले गई एंबुलैंसें
लेकिन इस अमन के प्रतीक का
कोई वारिस नहीं
कोई नहीं जो इसका दर्द बांटे
इसके जले हुये बदन पर
मरहम लगाये
अपने जले हुये पंखों के साथ
अमन का प्रतीक
अपनी अंतिम सांसों पर
तड़प रहा है
और उधर
शांति का उपदेश देता
कबूतरों को उड़ाता
सफेद कपड़ों वाला नेता
शैतानी हँसी हँस रहा है...।