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"नवजन्म / अमरजीत कौंके" के अवतरणों में अंतर

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10:36, 27 जून 2017 के समय का अवतरण

युगों से भटकता मन
तुम्हारे द्वार तक
कैसे आया

कुछ पता नहीं

बस
इतना याद है
कि तुम्हारी
मुहब्बत के
पवित्रा जल से
जन्मों की धूल से सना
अपना
चेहरा धोया

और
नवजन्म में
प्रवेश कर गया...।