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"नकल-नवीसी की बीमारी / कन्हैयालाल मत्त" के अवतरणों में अंतर
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सूट पहनकर टैरिलीन का
गंजे सिर पर हैट लगाए,
एक हाथ से छड़ी घुमाते,
बंदर जी दफ्तर में आए।
चपरासी ने कहा- 'महाशय,
अंदर जाना सख्त मना है!
अपना परिचय-पत्र दिखाएँ,
बतलाएँ, किससे मिलना है?'
बंदर जी ने कहा रौब से-
'इंडी-विंडी नईं जानटा,
अंगरेजी बी बूल गया ऊँ,
उर्डू को अम नईं मानटा!'
भाँप गया चपरासी फौरन,
बंदर भाई के लटके को,
लाल-लाल आँखों के बाहर-
झाँक रहे भाव खटके को।
चपरासी ने कहा तड़ककर-
'अम बंडर को नई माँगटा,
रुको, टुमे अम इसी पेड़ पर-
उलटा करके अबी टाँगटा!'
छड़ी फेंककर बंदर भागा,
भूल गया वह तिकड़म सारी,
हुई न जाने कहाँ उड़न-छू,
नकल-नवीसी की बीमारी!