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"स्त्री बनाती है / रंजना जायसवाल" के अवतरणों में अंतर
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धीरे-धीरे बनाती है
प्रेम तपस्या समर्पण से
घर
एक स्त्री
और पुरूष
एक पल में ही
बदल देता है
घर को मकान में।