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"रहस्य है स्त्री / रंजना जायसवाल" के अवतरणों में अंतर
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तुम नोंचते रहे पत्तियाँ
फल-फूल
खोदते रहे जड़ें
युग बदलते रहे
नहीं बदली तुम्हारी सोच
कि रहस्य है स्त्री।