भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"अकड-जकड / रेखा चमोली" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रेखा चमोली |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

19:29, 28 जून 2017 के समय का अवतरण

साथी ऐसी भी क्या अकड
जरा सी लचक से टूट जाओ
घायल ही कर दो उसे
जो किसी से टकराओ

ऐसी भी क्या जकड
ब्ंादी बना लो खुद को
अपनी आत्मा को गिरवी रख
कठपुतली बन जाओ

तुम्हारी सुविधा पर कोई प्रश्न उठाए
भौं भौं कर काटने दौडो
दूसरे का हिस्सा मारने को
सींग ताने रखो

लोेकतंत्र का गाना गाओ तानाशाही बजाओ
कोई तुम्हें कुछ कह न सके
तुम्हारा खेल बिगाड न सके
इसी जुगाड में जीवन बिताओ।