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आज कल रहता है दर्द
पैरों में
कमर और एड़ी में
मीठा दर्द दिन भर बना रहता है
इस दर्द को जितना जीती हूँ
दर्द की मिठास बढ़ती जाती है
सोचती हूँ
जरुरी है एक ब्रेक
कह दूँ सबसे
मिलती हूँ ब्रेक के बाद
ब्रेक पर जाती हुई उद्घोषिका की जैसे करते हो
प्रतीक्षा बेचैनी से
क्या करोगे मेरी भी
नहीं...
जानती हूँ तुम्हारा ज़वाब
मूब लगा लो
एक पेन किलर देता हूँ
कुछ भी बना लो
पहले बता देती की नहीं बनाना था खाना
कुछ आगया होता बाज़ार से
ये तमाशा अच्छा नहीं...
इस लिए दर्द से दोस्ती है मेरी
अब दर्द की डोर थामें
घूम आती हूँ दर्द के हिमालय तक
मेरी एड़ी से घुटने तक
पैरों और कमर के टभकते दर्द का
बेरहम इलाज
मेरा मौन है...