भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"दशहरा / योगेन्द्र दत्त शर्मा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=योगेन्द्र दत्त शर्मा |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

17:02, 29 जून 2017 के समय का अवतरण

आता है हर बार दशहरा,
हम सबका त्योहार दशहरा!

जब भी आता है, लाता है,
मस्ती का अंबार दशहरा!

इसे विजयदशमी भी कहते,
है सुख का आधार दशहरा।

विजय राम की घोषित करता,
रावण का संहार दशहरा!

सीता बंधनमुक्त हो गई,
यही बड़ा उपहार दशहरा!

करता है लक्ष्मण के मन में,
खुशियों का संचार दशहरा!

मेघनाद का, कुंभकर्ण का
करता बंटाढार दशहरा!

धर्मपरायण भक्तजनों का
करता बेड़ा पार दशहरा!

भोले-भाले इंसानों पर
सदा लुटाता प्यार दशहरा!

नैतिकता, आदर्श जीतते,
यही बताता सार दशहरा!