भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"छंद 55 / शृंगारलतिकासौरभ / द्विज" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=द्विज |अनुवादक= |संग्रह=शृंगारलति...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

19:13, 29 जून 2017 के समय का अवतरण

सोरठा
(सरस्वती आशीर्वाद-वर्णन)

बैठी चित-हित चाँहि, मम बिनती सुनि भारती।
हिय सिँगार-लतिकाहि, भाँति-अनेक असीस दै॥

भावार्थ: इस प्रकार मेरी विनती सुन और चित्त की चाहना देख भगवती बैठीं तथा अनेक भाँति से ‘शृंगारलतिका’ नामक कवितामय ग्रंथ आशीष देकर दिया।