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"बाज़ार-2 / रंजना जायसवाल" के अवतरणों में अंतर
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मंडी के कोने में बैठी
गरीब बुढिया के टोकरे में
भरे हैं ताजे,रसीले फल
लोग आते हैं
देखते-सूँघते हैं
और अपने नुकीले नाखून
धंसाकर परखते हैं
फलों का टटकापन
फिर मुँह बनाकर बढ़ जाते हैं
जगमगाती दुकानों की ओर
और खरीदने लगते हैं
रंगे-पुते चमचमाते फल
महँगे दामों में