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"बाज़ार-3 / रंजना जायसवाल" के अवतरणों में अंतर
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बाजार
स्वतंत्र ताकत में
बदल चुका है
नचा रहा है कठपुतली की तरह
जनता
संसद
सरकार सबको
रुपया रहमोकरम पर है उसके
रातो -रात बदल सकता है
हमारी जेब में पड़ा
एक रुपए का सिक्का
दस पैसे में