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"बाज़ार-6 / रंजना जायसवाल" के अवतरणों में अंतर
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कुछ भी नहीं कर पाते वे
ईमानदारी से
न तो प्यार
न नफरत
वे नायक हैं न खलनायक
वे जो होते हैं, दीखते नहीं
जो दीखते हैं, होते नहीं
लगता है बाजार में
खालिस चीजें नहीं चलतीं