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"शायद / रंजना जायसवाल" के अवतरणों में अंतर

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हतप्रभ
देख रहा है अतीत –
कंधों पर जिसके
टंगा है भविष्य
और जो
हताश
निराश और
लहूलुहान है
शायद वर्तमान है