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"अन्यायी की उम्मीद / रंजना जायसवाल" के अवतरणों में अंतर

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09:58, 4 जुलाई 2017 के समय का अवतरण

मेरा अपराध यह है
कि मैंने सच बोला है
अब तुम निकाल सकते हो
मेरी आँखें
काट सकते हो
जुबान
मार सकते हो पत्थर
चुन सकते हो दीवार में
और
कर सकते हो उम्मीद कि
बदल जाऊँगी मैं
यह नहीं जानते कि
नामुमकिन है यह उम्मीद