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वह कदली के बेटों को काटकर
मंडप सजाता है
निर्दोष हिरणों को मारकर
आसन बनाता है
चन्दन तरू काटकर,
मलय रक्त गारकर
तिलक लगाता है
बछड़े का वात्सल्य - हक छीनकर
पंचामृत बनाता है
सिंधु शिशु शंख मारकर
अस्थि पिण्ड फूंक कर
आरती उतारता है
अजा सुत की देता है बलि
एक साथ इतने को
मृत्यु दंड देकर
वह करता है -
पुत्र की दीर्घायु की प्रार्थना