भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"जाते ही तुम्हारे / रंजना जायसवाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना जायसवाल |अनुवादक= |संग्रह=ज...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
11:12, 4 जुलाई 2017 के समय का अवतरण
तुम थे
सम्पूर्ण थी
मैं
जाते ही तुम्हारे
खंड-खंड हो गयी