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"प्रेम की / रंजना जायसवाल" के अवतरणों में अंतर

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इबादत –सी
निश्छल
पवित्र
उज्ज्वल
सम्पूर्ण
प्रेम को
दुनिया मानती रही
छलावा
स्याह
और अपवित्र