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केकरा सें कोय चोरी करतै
केकरा से घुसखोरी रे
सबके देखै एके मालिक
नै केक्रहौं सें दूरी रे।
भला-बुरा सबके देखै छै
उनका कि मजबूरी रे
जेकरऽ करनी जैन्हऽ देखै
वैन्हें दै मजदूरी रे॥
कत्तेॅ दिन कोय धोखा देतै
मिटै नै जिनगी दूरी रे
सबसें सुखी वहेॅ दुनियाँ में
जेकरा देहें सबूरी रे॥